इन्दौरी तड़का : बस भिया अब तो गर्मी बर्दाश्त के बाहर है
Indori Tadka : हाँ बड़े अब तो बस भोत हो गया, गर्मी तो ऐसी लपक के पड़ री है की क्या बताउ। घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो गया है जरा सा बाहर जाओ नी की ऐसे पसीने छूटने लगते है जैसे बाहर पसीने बहाने ही आए हो। इत्ता पसीना तो जिम में बी नी आता जीतता जरा सा बाहर निकलने पे गर्मी में आ जाता है। बड़े सई में ऐसी गर्मी तो कबि नी पड़ी जैसी अभी पड़ री है। आइसक्रीम बी हाथ में लो तो दो मिनिट में पिछल जा री है खाओ क्या ? बड़े कसम से घर में रेने पे बी भोत गर्मी लड़ती है ऐसा मन करता है हमेशा ही कूलर के सामने बैठे रहें हटो ही ना। और जैसे ही कूलर एक सामने से हटे दुर्घटना घटी। ऐसी लपक एक गर्मी चढ़ जाएगी की बस कबि लपक के गरम गर्म फील होएगा ऐसा लगेगा जैसे किसी ने तवे पे डालके सेक दिया हो। और गर्मी में अगर घर छत वाला ना हो, चददर वाला हो और लाइट चली जाओ तब तो मौत आ जाती है मन ही नी करता सोने का।
साला इत्ती गर्मी लगती है नींद तो दूर की बात एक झपकी बी नी आती। आता है तो बस और बस पसीना। पसीने के आलावा कोई नी आता है। सई में मन तो करता है कोई वाटर पार्क को पूरी गर्मी एक लिए खरीद लें और उसी में दिन रात रहें। कसम से एकदम सई साट माहौल वहीं रेगा।
इन्दौरी तड़का : बड़े यहाँ के लोगो के मुँह पे बस गालियाँ ही होती है
इन्दौरी तड़का : यहाँ पे सब कुछ फ़ेसबुक पे पोस्ट होता है