इस वजह से इंसान से कम होती है जानवरों की उम्र
सभी को मौत आती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसानों से जानवरों की उम्र क्यों कम होती है...? अगर नहीं तो आइए आज हम आपको बताते हैं. जी दरअसल अगर जानवरों की सभी प्रजातियों की उम्र का अध्य्यन किया जाए तो उनकी जैविक आयु की परिभाषा, कालानुक्रमिक परिभाषा से ज्यादा कारगर है और रिसर्चर का कहना है कि जैविक आयु मापना एक मुश्किल काम है. वहीं सभी स्तनधारियों के डीएनए में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं. जी हाँ, इसी के साथ डीएनए मिथाइलेशन से भी उम्र का सही अंदाजा लगाने में मदद मिलती है और डीएनए एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें कई मिथाइल ग्रुप जुड़े होते हैं. इसका मतलब है कि एक कार्बन एटम के साथ तीन हाईड्रोजन एटम जुड़े होते हैं.
वहीं मिथाइलेशन डीएनए के क्रम में छेड़छाड़ के बग़ैर उसे प्रभावित कर सकता है और अलग-अलग तरह की प्रजातियों में कई तरह के शारीरिक विकास एक समान होते हैं जैसे दांतों का निकलना. ऐसे में इंसान और लेबरेडोर कुत्ते की मिथाइलेशन स्तर का मिलान करते हुए रिसर्चरों ने एक फॉर्मूला तैयार किया है जिसकी बुनियाद पर कुत्तों की सही उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. जी हाँ, वहीं कुत्ते तेज गति से अपनी मध्यम उम्र तक पहुंचते हैं और फिर धीरे-धीरे बुढ़ापे की ओर जाते हैं. ऐसा कह सकते हैं कि कुत्ते की जिंदगी का पहला साल इंसान की जिंदगी के 31 साल के बराबर मापा जाता है. वहीं इसके बाद कुत्तों की कानानुक्रमिक आयु इंसान की आयु के डबल हो जाती है इसका मतलब है अगर इंसान की उम्र के आठ साल होते हैं तो वो कुत्तों की उम्र के लिए तीन गुने गिने जाते हैं.
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