इन्दौरी तड़का : भिया यहाँ पे घरवालों से ज्यादा रिश्तेदार हमारी शादी को लेके परेशान रेते है
हाँ बड़े यहाँ पे सबसे ज्यादा अगर हमारे रिश्ते की चिंता किसी को है तो वो है रिश्तेदार को। ऐसे पड़े रेते है रिश्ते के पीछे की क्या बोलो। हर दिन एक नया रिश्ता लेके घर पे टपक जाते है। ऐसे भन्नाट गुस्सा आती है उनके ऊपर पन क्या करों है तो रिश्तेदार ना। बावा जिंदगी की वाट लगा रखी है जब मिलेंगे तब बस एक ही बात "बेटी शादी कब कर री हो" यार मेरी मर्जी जब मेको करनी होवेगी तब कर ही लुंगी ना तुम क्यों ऐसे भेंकर तरीके से पीछे पड़े रेते हो। भिया कसम से सारी ज़िंदगी झंड कर रखी है पूछ पूछ के और रिश्ते ला ला के। जितनी टेंशन तो मेरे माँ पा को नी है उत्ती तो यई लेके बैठे रेते है। भिया इनको कौन समझाए की नी करनी शादी वादी यार। मतलब हद है यार कसम से कैसे कैसे रिश्तेदार है यार।
मेरेको तो लगता है हर इन्दोरी अपने रिश्तेदार से परेशान ही होगा क्योंकि हर रिश्तेदार ऐसा ही होता है ले देके बस डाइरेक्ट शादी पे आ जाते है और कुछ तो इनको नजर आता ही नी है। जरा सी बच्चे की हाइट बढ़ी नी की ये पोहच जाते है शादी के पास। भिया इनको कौन समझाए की हाइट बढ़ी है ऐज नी। बस जरा सा बारवी क्या पास कर लो इनको लगता है बच्चे बड़े हो गए आ जाते है शादी का रिश्ता लेके। मतलब इनसे बच्चो की ख़ुशी बर्दास्त होती ही नी है पता नी क्या चाहते है। आधी ज़िंदगी तो इन रिश्तेदारों ने ही खराब कर रखी है बावा कसम से क्या बोलो।