तो क्या एक वैज्ञानिक था कुंभकर्ण
आप सभी ने रामायण पढ़ी या सुनी होगी. ऐसे में इसके मशहूर पात्र कुंभकर्ण के बारे में कई रोचक बातें हैं जो लोग जानकर हैरान हो जाते हैं. ऐसे में आज भी हम आपको इनके बारे में कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
कहते हैं कुंभकर्ण 6 महीने सोता था. लेकिन अब सवाल यह है कि एक परम ज्ञानी महर्षि सोकर, प्रमादी होकर अपना जीवन क्यों बिताएगा? जी दरअसल कई शोधकारों ने कुंभकर्ण की इस लंबी नींद का राज़ जानने की कोशिश की और उनके अनुसार कुंभकर्ण एक वैज्ञानिक था, जिसे अपने अत्याधुनिक व अकल्पनीय शोधों के लिए गोपनीय स्थान पर जाना पड़ता था.
कहा जाता है यह गोपनीय स्थान किष्किंधा के दक्षिण में किसी गुफा में था जहां पर उसने आश्चर्यजनक रूप से एक भारी-भरकम प्रयोगशाला स्थापित कर रखी थी और वह अधिकांश वक्त इसी स्थान पर अपने सहयोगियों के साथ गंभीर व उन्नत किस्म के प्रयोग करता था. वहीं इससे हटकर कुछ शोधकर्ता ये दावा भी करते हैं कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक प्रयोगशाला वर्तमान के किसी लैटिन अमेरिकी देश में थी, जहां जाने व लौटने के लिए वह स्वयं के बनाए अत्याधुनिक विमानों का इस्तेमाल करता था.
इसी के साथ कुछ शोधकर्ताओं ने ये भी दावा किया है कि रावण ने स्वचालित हथियार व दिव्यास्त्र सहित कई विमान भी कुंभकर्ण की सहायता से हासिल किए थे और कुछ लोग तो ये भी कहते हैं, रामायण में जिस भगवान शिव के जिस पुष्पक विमान का जिक्र आता है और जिसे रावण ने शिव से मांग लिया था, उसकी गति और बैठने के स्थान को लेकर कुंभकर्ण ने कई प्रयोग किये थे से ही बनवाया था. इसी के साथ अतुलनीय रूप से इन विमानों की क्षमता आज के वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल देती है और यदि इसे केवल कपोल कथा न माना जाए तो इस तथ्य को स्वीकार करने में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक क्षमता अद्भुत थी तथा वह तत्कालीन विश्व का महानतम शोधकर्ता था.
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