जानें फोन पर Hello बोलने की कहानी, क्यों कहा जाता है यही शब्द ?
मोबाइल फ़ोन की रिंगटोन बजी और फोन उठाते ही आवाज़ आती है 'Hello'. सभी यही बोलते हैं और आप भी यही बोलते होंगे। क्योकि अब तक हमने यही सुना है कि फ़ोन उठाते ही हेलो बोलना है, लेकिन क्यों बोलना है या फिर क्यों बोलते हैं ये आप नहीं जानते होंगे। तो चलिए आपको बता देते हैं इस हेलो का राज़।
अक्सर ये बात आपके दिमाग में आयी होगी कि हम हमेशा हेलो ही क्यों बोलते हैं कोई और शब्द क्यों नहीं बोलते। आइये जानते हैं आखिर जाता है Hello और क्या होता है इसका मतलब।
कहाँ से आया ये शब्द Hello ?
दरअसल, जानकारी के लिए आपको बता दे कि, Hello शब्द पुराने फ्रांसीसी या जर्मन शब्द ‘होला’ से निकला है जिसका मतलब होता है ‘कैसे हो’. 1300 के बाद ये शब्द हालो (Hallow) बन चुका था। इसके दो सौ साल बाद हालू (Halloo) बन गया। ये तो आप जानते ही हैं कि 1876 में ग्राहम बेल ने फ़ोन का अविष्कार किया था और उन्होंने सबसे पहले Hello ही बोला था।
ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का नाम था ‘मारग्रेट हैलो’
हम आपको बता दे कि ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का नाम 'मारग्रेट हैलो' था। सबसे पहले उन्होंने एक जैसे 2 फ़ोन बनाये। उसमें से एक फ़ोन उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड को दे दिया और फ़ोन की सभी तकनीनीकि समस्याओं को दूर करने के बाद सबसे पहले 'मारग्रेट' को फोन किया और प्यार से बोला 'हैलो'. वो जब भी मारग्रेट को फोन करते ‘हैलो’ कहकर पुकारते थे।
इस तरह फोन उठाते ही हैलो कहना एक सम्बोधन के शब्द के रूप में प्रचलित हो गया। ये उन्ही की देन है कि आज हम फ़ोन उठाते ही 'Hello' बोलते हैं. उस ज़माने में टेलीफ़ोन एक्सचेंज में काम करने वाली महिला ऑपरेटरों को ‘हैलो गर्ल्स’ कहा जाता था।
दिलचस्प थी ग्राहम बेल की कहानी
दूर बैठे अपने परिचितों की आवाज सुनने का तोहफा देने वाले ग्राहम बेल के घर में उनकी मां, पत्नी, और उनका एक खास दोस्त सुनने में अक्षम थे। इसी वजह से उन्हें बधिर लोगों से खासा लगाव था। उन्होंने ध्वनि विज्ञान के क्षेत्र में काफी अध्ययन किया और काफी यंत्र बनाए। 1876 में टेलीफोन के अविष्कार के अलावा मेटल डिटेक्टर बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
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