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यहाँ कटघरे में पेश होते हैं देवी-देवता, मिलती है सजा

Bhangaram Devi Temple where even gods get punished

आप सभी को पता ही होगा कि अगर हम कुछ  ग़लत करेंगे तो भगवान हमको सज़ा ज़रूर देगा. लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि भगवान के ग़लत की सज़ा भक्त देते हों? आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। जी दरअसल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी समाज के लिए ये बात आम हैं. यहां के आदिवासी देवी-देवताओं को भी सज़ा देते हैं. जी हाँ और सबसे बड़ी बात है कि सजा बाकायदा अदालत लगाकर दी जाती है। ये अनोखी अदालत ‘भंगाराव माई के दरबार’ में लगती है. भंगाराव माई का दरबार धमतरी जिले के कुर्सीघाट बोराई में है. कहा जाता है सदियों पुराने इस दरबार को देवी-देवताओं के न्यायालय के रूप में जाना जाता है. जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि भंगाराम की मान्यता के बिना क्षेत्र में स्थित नौ परगना में कोई भी देवी-देवता कार्य नहीं कर सकते.

जी हाँ और हर साल भादों के महीने में आदिवासी देवी-देवताओं के न्यायधीश भंगा राव माई का जात्रा होता है. इसमें बीस कोस बस्तर और सात पाली उड़ीसा सहित सोलह परगना सिहावा के देव-देवता आते हैं. हालाँकि महिलाओं का इसमें शामिल होना मना है.

छत्तीसगढ़ में आदिवासी अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और अपनी हर समस्या उनके साथ बांटने का कार्य करते हैं ताकि उनपर किसी तरह की विपत्ती न आए. हालाँकि जब देवी-देवता उनके लिए कुछ नहीं करते तो ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर भंगाराम के मंदिर में इन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता है और उसके बाद यहां इनकी सुनवाई होती है, आरोप लगते हैं और दोषी पाए जाने पर सज़ा भी मिलती है.

वहीं यहाँ पर जब देवी-देवता आदिवासियों की परेशानियां दूर नहीं करते तो उन्हें दोषी माना जाता है. जी हाँ और देवी-देवताओं को ग्रामीण चिन्हित कर बकरी या मुर्गी को सोने चांदी आदि के साथ लाट, बैरंग, डोली आदि को लेकर भंगाराम जात्रा में पहुंचते हैं. आपको बता दें कि यहां भंगाराम की उपस्थिति में कई गांवों से आए शैतान, देवी-देवताओं की एक-एक कर शिनाख़्त करते हैं. उसके बाद मंदिर परिसर में ही अदालत लगती है. यहाँ देवी-देवताओं पर लगने वाले आरोपों की गंभीरता से सुनवाई होती है. उसके बाद आरोपी पक्ष की ओर से दलील पेश करने सिरहा, पुजारी, गायता, माझी, पटेल आदि ग्राम के प्रमुख उपस्थित होते है और दोनों पक्षों की गंभीरता से सुनवाई के पश्चात आरोप सिद्ध होने पर फ़ैसला सुनाया जाता है. आपको बता दें कि इस मंदिर में देवी-देवताओं को ख़ुश करने के लिए बलि देने व भेंट चढ़ाने का भी विधान है.

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