इस गांव में पति के मरने के बाद भी महिलाएं नहीं होती हैं विधवा
आज तक आपने कई अलग-अलग देशो के अलग-अलग रीति-रिवाज और परम्पराओं के बारे में सुना होगा लेकिन हम आपको आज एक ऐसी जगह की अजीब परंपरा के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां अपने अलग ही रीति-रिवाज चलते हैं और इन गांव में अलग-अलग तरह की हैरान करने वाली परम्पराएं निभाई जाती हैं. हम आपको उस गांव के बारे में बता रहे हैं जहां की महिलाएं कभी भी विधवा नहीं होती हैं.
ये गांव मध्यप्रदेश के मंडल जिले में मौजूद हैं जिसका नाम है बिहंगा. इस गांव की एक अलग ही कहानी है जो दुनियाभर में मशहूर है. इस अनोखे गांव में महिलाओं के विधवा होने की प्रथा ही नहीं हैं. यहां गोंड जनजाति की महिलाओं के लिए अलग ही तरह की प्रति चलती हैं. यहां पति के मरने के बाद जरुरी नहीं कि घर में देवर या जेठ हो ही. इस जनजाति में अगर शादी लायक नाती-पोते भी होते हैं तो भी उनकी महिला से शादी करवा दी जाती हैं.
अगर यहां कोई पुरुष शादी करने से इंकार कर देता हैं या फिर कोई पुरुष उपलब्ध नहीं होता हैं तो यहां एक अन्य प्रकार की प्रकिया अपनाई जाती हैं. अगर महिला की किसी से शादी ना हो रही हो तो पति के मरने के दस दिन बाद दूसरे घरो को महिलाएं उस महिला को तोहफे में चांदी की चूड़ी देती हैं और इसे पाटो कहा जाता हैं.
इस परिवार की लम्बाई देखकर आपकी भी आंखे फटी की फटी रह जाएगी
यहां पीरियड्स के पहले दिन सभी महिलाओं को मिलती है छुट्टी