क्या आप जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति का लॉजिक
दुनियाभर में कई ऐसी बातें हैं जो लॉजिक से भरी हुई है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही लॉजिकल बात जिसे जानने के बाद आप खुश हो जाएंगे. जी दरअसल भगवान भोलेनाथ को उनके महामृत्युंजय मंत्र के जप से खुश किया जा सकता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस मंत्र की उत्पत्ति किस प्रकार हुई थी? तो आइए आज हम आपको बताते हैं इसके पीछे का रहस्य.
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति - प्राचीन काल में मृकण्ड ऋषि हुआ करते थे, जो भगवान शिव के परमभक्त थे. मृकण्ड का जीवन सुचारू रूप से चल रहा था. बस उन्हें एक ही चिंता सताए जा रही थी की उनकी कोई सन्तान नहीं है. इसके चलते उन्होंने भोलेनाथ की तपस्या शुरू कर दी.
तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने मृकण्ड मांगने को कहा. शिव जी ने कहा मैं तुम्हरी इच्छा पूरी तो कर दूंगा किन्तु इसमें दुख और सुख दोनों भोगने होंगे. कुछ ही समय में उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम मार्कण्डेय रखा गया. मृकण्ड और उनकी पत्नी बहुत प्रसन्न रहने लगे. किन्तु कुछ दिनों बाद उन्हें किसी ज्योतिषी ने बताया कि उनके पुत्र की आयु बहुत कम है. मात्र 12 वर्ष ही यह बालक जीवित रहेगा. यह सुनकर उस दंपत्ति के ऊपर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 16 वर्ष के होने पर मार्कण्डेय को उनकी माता ने उनके अल्पायु की बात बतायी. मार्कण्डेय अपनी माता-पिता को दुखी नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्होंने एक मंत्र की रचना की, जिसे महामृत्युंजय मंत्र कहा गया. मार्कण्डेय ऋषि प्रतिदिन इसी मंत्र का जाप करने लगे.
एक दिन जब वे मंत्र का जाप कर रहे थे, तभी वहां यमदूत उनके प्राण लेने आ गए. किन्तु मंत्र जाप के कारण वे मार्कण्डेय को छू भी नहीं पा रहे थे. यमदूत ने यह बात यमराज को बतायी. तब यमराज स्वयं मार्कण्डेय के प्राण लेने आ गए. यहां मार्कण्डेय शिवलिंग को पकड़े हुए मंत्र का जाप कर रहे थे. यमराज ने उन्हें खींचने का प्रयास किया कि तभी वहां शिव जी वहां प्रकट हुए और यमराज पर क्रोधित होने लगे. तब यमराज ने कहा प्रभु मैं तो आपके ही द्वारा बनाये गए नियमों का पालन कर रहा हूं. तब शिव जी ने कहा यह मेरा परमभक्त है, इसलिए मैं इसे दीर्घायु प्रदान करता हूं. इसके पश्चात भोलेनाथ और यमराज वहां से चले गए. तभी से कहा जाता है कि महामृत्युंजय का जाप करने वाले भक्त कि अकाल मृत्यु नहीं होती.
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