आज है देवशयनी एकादशी, जानिए क्यों सोते हैं विष्णु भगवान
आप सभी जानते ही होंगे आज देवशयनी एकदशी है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों भगवान विष्णु चार महीने तक सोते रहे थे. आइए जानते हैं.
![रहस्य](https://viral.newstracklive.com/uploads/july2020/Gij6GtvVdQ1593599702.jpg)
रहस्य
कहा जाता है इसके पीछे एक कथा है. जो यह है कि एक बलि नाम के राजा ने तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया था. इसलिए इंद्र घबरा कर विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी. देवराज इंद्र के विनती करने पर विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से दान मांगने पहुंच गए. उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान में देने के लिए हाँ कर दी. परन्तु भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर के दो पग में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहां रखे जब यह पूछा तो बलि ने कहा कि उनके सिर पर रख दें. इस तरह विष्णु जी ने बलि का अभिमान तोड़ा तथा तीनो लोकों को बलि से मुक्त करवा दिया.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/july2020/It33gMoxCv1593599702.jpg)
राजा बलि की दानशीलता और भक्ति भाव देखकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने बलि से वर मांगने के लिए कहा. बलि ने वरदान मांगते हुए विष्णु जी से कहा कि आप मेरे साथ पाताल चलें और हमेशा वहीं निवास करें. भगवान विष्णु ने बलि को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान दिया तथा उसके साथ पातल चले गए. यह देखकर सभी देवी देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठे. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापिस लाना चाहती थी. इसलिए उन्होंने एक चाल चली. देवी लक्ष्मी ने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया तथा राजा बलि के पास पहुँच गयी. राजा बलि के पास पहुँचने के बाद उन्होंने राजा बलि को राखी बाँध कर अपना भाई बना लिया और बदले में भगवान विष्णु को पाताल से मुक्त करने का वचन मांग लिया.
![](https://viral.newstracklive.com/uploads/july2020/fag2Wce7m61593599702.jpg)
भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नही करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे. यही कारण है कि इन चार महीनो में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं और उनका वापन रूप में भगवान का अंश पाताल लोक में होता है.
यहाँ बच्चे पैदा करने पर मिलता है मेडल
कार की विंडशील्ड क्यों होती है तिरछी
आखिर क्यों प्रियजन का सिर फोड़ते हैं चिता पर, जानिए यहाँ